


मध्य प्रदेश में नौ वर्षों से बंद पदोन्नतियों का सिलसिला फिर से शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के बाद, सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने विधि एवं विधायी विभाग के अधिकारियों से परामर्श के बाद पदोन्नति नीति का प्रारूप तैयार किया है। इसे मई 2025 में कैबिनेट में प्रस्तुत करने की योजना है। इस नीति के लागू होने के बाद, विभिन्न विभागों में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिन विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या कम है, वहां पदोन्नति पहले हो सकती है। मंत्रालयीन कर्मचारियों को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
मेरिट को आधार पर पदोन्नति
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने की तैयारी की जा रही है। यह प्रक्रिया कर्मचारियों के प्रदर्शन और अनुभव को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में अप्रैल 2016 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण पदोन्नति पर रोक लगी हुई थी। इन नौ वर्षों में लगभग डेढ़ लाख कर्मचारी-अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिससे पदोन्नति की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है। ये कदम कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने और प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार लाने के लिए अहम साबित हो सकता है।
150 कर्मचारियों को पदोन्नत किया
फरवरी 2025 में, मध्य प्रदेश के विधि विभाग ने अपने लगभग 150 कर्मचारियों को पदोन्नत किया। इसका आधार यह था कि आरक्षण नियम रद्द होने के बावजूद विभागीय भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इन नियमों के अनुसार, एक निश्चित अवधि के बाद वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जा सकती है।